पार्टीशन और दंगे के दहशत भरे पलों को "अमृतसर आ गया" के मंचन ने किया जीवंत, एसडीएम बघेल की आंखें हुई नम - गुना समाचार

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पार्टीशन और दंगे के दहशत भरे पलों को "अमृतसर आ गया" के मंचन ने किया जीवंत, एसडीएम बघेल की आंखें हुई नम

 


गुना समाचार न्यूज डेस्क। बीती शाम शहर के पी. जी. कॉलेज सभागार में विनर सोसाइटी आर्ट एंड कल्चर द्वारा नाटक अमृतसर आ गया का मंचन किया गया। "अमृतसर आ गया" भीष्म साहनी द्वारा रचित एक बहुचर्चित कहानी  है जो भारत-पाक विभाजन के परिदृश्य को प्रस्तुत करती है। विभाजन की घोषणा के उपरांत भड़की साम्प्रदायिकता की भावना को साकार रूप देने का एक सफल प्रयास साहनी जी   ने कहानी में बखूबी किया है। विभाजन के समय जो चिन्गारी लोगों के हृदय में सुलग रही थी वह साम्प्रदायिक  दंगो के रूप में सामने आई। कहानी में भीष्म जी ने एक रेलगाड़ी का वर्तमान पाकिस्तान के किसी शहर से निकलकर अलग -  अलग स्टेशनो से होते   हुए अमृतसर पंहुचने तथा इस रेलयात्रा के   दौरान होने वाले तनाव और विवाद को छोटी -  छोटी   घटनाओं   के   द्वारा   दर्शाया है। जैसे - जैसे रेलगाड़ी   आगे की ओर बढ़ती है ,  वैसे - वैसे   तनाव बढ़ता   जाता है। विभाजन की त्रासदी ने लाखों लोगों   को भावनात्मक और विचारात्मक धरातल पर ही नही बल्कि मनोवैज्ञानिक तथा आत्मिक  स्तर पर भी   प्रभावित किया। 


रक्षा तंवर के निर्देशन और अमन तिवारी के सह निर्देशन में बने इस नाटक को मधुर जैन ने अपनी कलात्मक प्रकाश परिकल्पना से सजाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर विभिन्न किरदारों के रूप में देवशर्मा, कृष्णा रघुवंशी, आस्था प्रजापति, रोहित सिंह, रमाकांत शर्मा, अक्षत शुक्ला, श्रीमती रेणुका बरसैया, संस्कार साहू, और निवेश जैन ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के समक्ष कई किरदारों को जीवंत कर दिया। तथा विशेष सहयोगी के रूप में शिविका जैन, विक्रम जाटव और विष्णु झा भी मंच पर उपस्थित रहे।



इस खास मौके पर मुख्य अतिथि दर्शक के रूप में एसडीएम वीरेन्द्र सिंह बघेल भी मौजूद थे । उन्होंने बैठकर पूरा मंचन देखा और शो के मार्मिक दृश्यों ने दर्शकों के साथ उनकी आंखों को भी नम कर दिया। "अमृतसर आ गया" नाटक की प्रस्तुति समाप्त होने के बाद उन्होंने विनर्स ग्रुप के कलाकारों की काफी सराहना की साथ जिला के समस्त कलाकारों को बेहतर जगह उपलब्ध कराने की बात कही।



उन्होंने शो में लाइट और साउंड की क्वॉलिटी की कमी को देखकर जिले के कलाकारों को मानस भवन के सभागार को उपयोग करने के लिए हर संभव मदद देने बात कही है हालांकि मौजूद समय में जिले में उच्च तकनीक का ऐसा कोई सभागार नहीं है जिस पर कुछ अच्छे और बड़े स्तर के कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें। अब देखना यह है कि एसडीएम बघेल की यह पेशकश मात्र कथन ही रह जाएगी या फिर भविष्य में जिले के कलाकारों को कोई बेहतर सभागार उपलब्ध होगा।


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